बंद करुं अंखियां तो सामने तू नजर आए
खोलूं जैसे ही नयना बड़ी दूर नज़र आए
बे - अश्क हुई अब ये लोचन ग़म में तुम्हारे
कैसे कटती रतिया हम कैसे तुझे समझाएं
बंद करुं अंखियां तो सामने तू नजर आए
खोलूं जैसे नयना तो बड़ी दूर नजर आए
तारे थे नभ में हजारो चंदा भी थे चमकते
छोड़ सब चूना हमने उसको जो थे टिमटिमाते
कितना खुश रहती थी मैं कितना थे मुस्काते
समझ न सका उसे बेदर्दी गम दे गए बन पराये
बंद करुं अंखियां तो सामने तू नजर आए
खोलूं जैसे नयना तो बड़ी दूर नज़र आए
जलाती हूं दीया अब भी हर शाम तुलसी चबुतरे
नज़र आता नहीं अब वहां पहले जैसे कोई भंवरे
अश्रु नयन हर पल हर वक्त तेरी ही राह निहारें
जीने के लिए तो जी ही लूंगी पर किसके सहारे
बंद करुं अंखियां तो सामने तू नजर आए
खोलूं जैसे नयना तो बड़ी दूर नज़र आए
हो सके तो लौट आना खुले है मन के हर दरवाज़े
न हीं कोई गिला न ही तुझसे कोई शिकायते
चले आओ चले आओ मेरे अज़ीज़ मनप्रीत हमारे
मन मंदिर है सुना सुना हर पल तेरी ही राह निहारें
बंद करुं अंखियां तो सामने तू नजर आए
खोलूं जैसे नयना तो बड़ी दूर नज़र आए।