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Rajeshwar Mandal

Others

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Rajeshwar Mandal

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परिंदे

परिंदे

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   मेरे घर भी रहते हैं कुछ परिंदे 
   उसके लिए जीने मरने होते हैं
   धनुष-बाण से बच बच कर 
   चूग चूग दाने लाने होते हैं
 
   थके मांदे लौटता हूं जब घर को
   वो परिंदे आगे पीछे फूदकते है
   छोड़ चिंता कल के काम का
   उसके संग हंसने खेलने होते हैं 

   अपनी क्या अब तो पर भी झड़ने चले
   फिर भी बिन पर उड़ने होते हैं 
   रौशन रहे ये घोंसले मेरे बाद भी
   खातिर इसके दीये भी जलाने होते हैं।


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