घुटन
घुटन
अंदर ही अंदर
जो घुटन
मैने अपनों के आंखों में देखी है,
चेहरे पे मुस्कान
अकेले में तन्हाई देखी है,
किसी अपने के
ना होने का गम
इस कदर
झकझोर देता है,
आत्मा में झुंझलाहट
दर्द रगों में भर देता है,
उन्हें ना अपने होने का गुमान है
ना अपने वजूद खोने का
रत्तीभर अफसोस,
जो कल तक पास था उनके
आज आंखों से ओझल है,
और ये दर्द
बहुत सलता है
दिल ही दिल में,
जिंदगी सच बहुत चुभन भरी है
ऐसे जीना भी क्या जीना
जब सर से साया
पैरों की
जमीन ही हमारी ना रही,
तब इस जिंदगी से
हमें भी कोई शिकवा नहीं,
माना जीना होगा
हमें अंत तक,
दर्द में लहू लुहान
घिसटते घुटते,
पर मृत्यु शास्वत है
होगा साक्षात्कार
उससे एक दिन जरूर,
तब तक इस मोह को
कैसे खुद से दूर करें,
जिनके साथ बचपन गुजरा,
जिंदगी का पल पल गुजरा,
हर दुःख सुख में साथ रहें,
खट्टी मीठी बातों में बंधे रहें,
हर दर्द में
जब साथ
किसी का ना मिला
तब भी
सिर्फ उनका होना ही काफी भर था
हमारे लिए,
पर आज कुछ खालीपन सा है
यादें खूंटे में टंगे
इर्द गिर्द तो हैं
पर ख़ामोश हैं,
और मैं बेजान सा
चौराहे पे खड़ा
अकेला हारा हुआ
निहत्था,
दुनियां के हजारों गमों
से घिरा एक मृत
देह को बस घसीट रहा हूं,
अपने मिटने के
और उनसे
मिलने के इंतजार में......!