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Dr. Anurag Pandey

Abstract

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Dr. Anurag Pandey

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परिवार

परिवार

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धरा पे तू आया मनुज रूप में,

ये तेरे प्रारब्ध और संस्कार हैं

जीवन की गति और दिशा

तय करते ये परिवार हैं

हैं भिन्न भिन्न सबके ये

पर आपस में अभिन्न हैं

होते नहीं जिनके ये पूछो उनसे

अंतर्मन उनके कितने खिन्न हैं

रिश्तों से ये है सजे

और प्रेम से समृद्ध हैं

ममता जो परिवार में न हो

हर खुशियां अवरुद्ध हैं

इस भागती सी जिंदगी में

परिवार ही शान्ति का कोष है

कुछ समय न दो अगर 

अनुराग फिर किसका दोष है


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