चस्का
चस्का
लग चुका मेरी आँखों को,
चस्का तुझको देखने का,
अब रोज़ाना ही इनको,
तेरा दीदार करना है,
मन करता नहीं छोड़ तुझे,
दूसरा कोई काम करू,
और ना थकती ये आँखे,
बस देखते रहने से तुझे,
कभी थक भी जाती आँखे,
देख लेता मुस्कान तेरी,
फ़िर से तेरी आँखों को,
ये आँखें तकने लगती है।