तोहफ़ा
तोहफ़ा
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फ़ूल दिखे बाज़ार में
मुझे याद आई एक फ़ूल की
फ़ूल जो पूरे गुलदस्ते से
ज्यादा सुंदर लगता है ।
थोड़ा आगे दिखी चूडियां
फ़िर से याद आई उसकी
जो इन कांच की चूड़ी से
ज्यादा नाजुक लगती है ।
दिख गए फिर झुमके आगे
याद आना लाज़मी था
उसकी जो उन झुमको की
खूबसूरती बढ़ा देती ।
सोचा आयेगा एक दिन
जब मांगेगी सब तोहफ़े में
वो लड़की जो आज मेरे
तोहफ़े को मना करती है ।