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Sawan Sharma

Abstract

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Sawan Sharma

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तोहफ़ा

तोहफ़ा

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फ़ूल दिखे बाज़ार में

मुझे याद आई एक फ़ूल की

फ़ूल जो पूरे गुलदस्ते से

ज्यादा सुंदर लगता है।


थोड़ा आगे दिखी चूडियां

फ़िर से याद आई उसकी

जो इन कांच की चूड़ी से

ज्यादा नाजुक लगती है।


दिख गए फिर झुमके आगे 

याद आना लाज़मी था

उसकी जो उन झुमको की

खूबसूरती बढ़ा देती।


सोचा आयेगा एक दिन 

जब मांगेगी सब तोहफ़े में 

वो लड़की जो आज मेरे 

तोहफ़े को मना करती है।


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