दिलासा देकर पति को चिंताएँ स्वयं लेती। दिलासा देकर पति को चिंताएँ स्वयं लेती।
कुर्सी का चस्का ऐसा आंखे बंद हो गई। देश कौन जिंदा ना मालूम कौन मरता है। कुर्सी का चस्का ऐसा आंखे बंद हो गई। देश कौन जिंदा ना मालूम कौन मरता है।