यहा सब चलता है
यहा सब चलता है
पता नहीं कौन, किससे, कब मिलता है।
ये राजनीति है यहां सब चलता है।
आज इसके साथ कल उसके साथ।
बेवफा आशिक क्या फर्क पड़ता है।
ईमान-धर्म की बात करना इनसे क्या।
सच्चाई-अच्छाई ईमान सब मरता है।
तोड़ेंगे दिल और कहेंगे दिल्लगी की।
मिले कुर्सी कौन किसका मित्र रहता है।
कर लिया अदावत जिनके खातिर मैंने।
मिले गले दुश्मनों कौन हमे पूछता है।
कुर्सी का चस्का ऐसा आंखे बंद हो गई।
देश कौन जिंदा ना मालूम कौन मरता है।
जनता का क्या केवल मतदान करना।
हमे नहीं बाद चुनाव सबको छ्लता है।
कहा कब था हम तुम्हारे सब हमारे है।
वोट देना उनको अब सबको खलता है।
साम, दाम, दंड, भेद सब आजमाएँगे ये।
जीता कर वोटर तिल तिल मरता है।
बैठ सिंहासन जनता भूल ना जाना अब।
गरीब भरी उम्मीदों तेरी राह तकता है।
