हौसलों का पतवार
हौसलों का पतवार
दिल में मची हलचल को काबू में लगा लीजिए।
समेट कर सारी बेचैनी को लक्ष्य में लगा लीजिए।
दुनिया एक सागर यहां ज्वार भाटा आते रहेंगे।
बना हौसलों को पतवार पार कश्ती लगा लीजिए।
बन के अपना दगा दे जाए कोई तो रोना नहीं।
बेसहारों पे अपने प्यार का दरिया बहा दीजिए।
लुट गया तेरा माल असबाब कोई गम न करना।
मिल जायेगा फिर सब दिल दिया उम्मीदों जला लीजिए।
रहोगे गर तन्हा तुम मार डालेगी तन्हाई तुमको ।
निकल के बाहर रोते हुए को जरा हंसा लीजिए।
किससे लड़ना और झगड़ना चार दिन की जिंदगी।
सभी है अपने जरा गैरों को भी गले लगा लीजिए।