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Uma Shukla

Comedy

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Uma Shukla

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पति का बटुआ

पति का बटुआ

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चाहे हो मामूली कर्मचारी

या हो कोई अधिकारी।

पति के बटुए पर पूर्ण

हक समझती है हर नारी।


चाहे खरीदना हो साड़ी

या कोई मनचाहा जेवर।

अगर दिलाया जाए न

तो दिखलाती वो तेवर।


सैर सपाटे और बाहर

खाने का भी चस्का।

कमी अगर हो कोई तो

रूठे पति लगाए मस्का।


करती जी खोलकर खर्च

मगर जाने है मर्यादा।

अगर कभी हाथ तंग हो

पति का बदल देती इरादा।


पाई-पाई बचाए पैसे

पल में निकाल देती।

दिलासा देकर पति को

चिंताएँ स्वयं लेती।


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