नारी के हथियार
नारी के हथियार
झाड़ू बेलन फूकनी, नारी के हथियार ।
थोड़ी सी गलती हुई, बहुत पड़ेगी मार ।।
जो बोले दे दीजिये, पैसे की क्या बात ।
पैसे से बढकर यहाँ, हैं घर के हालात ।।
खूब घूमने दीजिये, मत कीजे इंकार ।
वरना घर बन जायगा, कारा और बिहार ।।
सुंदर हो या फिर नहीं, करियेगा गुणगान ।
जो घर बैठे चाहिए, मान और सम्मान ।।
जब नारी गुस्सा दिखे, समझो काली यार ।
हाथ पैर पकड़ो तुरंत, नहीं पड़ेगी मार ।।
जब हाथो में देखिये, बेलन झाडू थाल ।
हनूमान जप भागिए, बाहर को तत्काल ।।
पिटने के स्थान हैं, पेट पीठ औ भाल ।
हाथों पर ही ध्यान दें, भ्रम हैं सुंदर गाल ।।
काजू बरफी लाय के, दीजे इनको रोज ।
मीठा मीठा मुंह रहे, मीठा होगा भोज ।।
सब्जी रोटी दाल को, बना लेत है जोय ।
उसका जीवन श्रेष्ठ है, कष्ट कभी न होय ।।
बीमा करवा दीजिये, लेकिन रखिये ध्यान ।
पैसा पतनी को मिले, जाये तेरी जान ।।
चूड़ी कंगन हार ही, हैं नारी की शान ।
समय समय पर दीजिये, जो पाना हो मान ।।
कविवर 'अस्मित' कह रहे, सुनिए सारे लोग ।
इन बातों पर ध्यान दे, करिए जीवन भोग ।।