तूफां से पहले की शांति
तूफां से पहले की शांति
ऑफिस से जब भी मैं अपने को घर जाता हूँ
श्रीमती जी का शांत चेहरा देखकर डर जाता हूं।
जब जब भी वे ऐसे ही शांत बैठीं हैं
तब तब हमारी पीठ दर्द से रही ऐंठी हैं
उनकी शांति तूफां का संकेत है
जिसमें उड़ती गालियों की रेत है
हमारे सारे पुरखे याद किये जाते हैं
सब पानी पीकर कोसे जाते हैं
बच्चे भी दुबक कर सो जाते हैं
तुरंत मीठे सपनों में खो जाते हैं
तब ये घर रणचंडी मैदान बन जाता है
जिसमें हम जैसों का कत्लेआम होता है
पति पत्नी में झगड़े की कोई एक जड़ है ?
भगवान का बना ये सॉफ्टवेयर ही गड़बड़ है
एकबार स्टार्ट होने पर रुकता नहीं है
कभी किसी के सामने झुकता नहीं है
तूफां गुजरने के बाद क्या हालत होती है ?
हमारे चेहरे से वह खुद ब खुद बयां होती है
अब तो हमें देखकर बच्चे भी चिढ़ाते हैं
उनकी "शांति" गेट के बाहर ही बताते हैं
इससे अच्छा तो यही है कि तूफां ही आ जाये
और कुछ नहीं तो कम से कम तर ही कर जाये
उसमें भीगकर हम मौज मनाते रहेंगे
फिर प्यार से शांति को भी मनाते रहेंगे।