फोन
फोन
बीवी का फोन ,
पडा था सोफे पर।
हमारी गयी नज़र,
उत्सुकता से परे,
लिया हाथ।
पासवर्ड लेकर,
स्क्रिन को खोला।
देखा इधर, उधर।
फिर गयी,
संपर्क नंबर पर,
एक नज़र।
मज़ा आया,
उसे पढ़कर।
अापकी भी हँसी छूटे,
उसे पढ़कर।
एक एक पात्र पढ़ना,
भोली समझकर।
" गोलू के पापा,
गाँव के मामा।
ननद की सास,
शहर वाले काका।
ब्लाऊज वाली रेका।
आजूवाली ताई,
बाजूवाली ताई।
नहीं समझा कुछ,
कौनसा जमाई ?
एक दो प्रेसवाला,
कौनसा गजु,
उसका साला।
ब्युटीपार्लर वाली नंदा,
उपरवाली चंदा।
नीचे की काकी,
उधार दिया बाकी।
सब्जी वाला भैया,
दूधवाला नाना।
बस का ड्रायवर,
गोलू की टीचर।
परदे वाला शंकर।
किराना ईश्वर।
प्यारा से देवर।
भाई,भाई की लड़की,
प्यारी भाभी,
माँ, पापा।
यह सब पढ़कर,
हो गया मैं मौन।
सब रिश्ते,
सम्हाले था उसका,
एक फोन।