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Pradeep Sahare

Inspirational

4  

Pradeep Sahare

Inspirational

रेत

रेत

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समंदर के किनारे की,

रेत कहती है समंदर से

" हे महामहिम,

तेरा विस्तार है अपार,

अनंत है गहराई ၊

तेरी लहरों के आगे,

सब है बेकार ၊

तुम साक्षात हो ईश्वर ၊

लेकिन मेरे पास आते ही ,

तुम्हारी उफान भरी लहरों में,

आ जाती है नमी ၊

स्पर्श कर मेरा,

वापस समाती आपके अंदर ၊

क्या आपको लगता,

मुझसे ड़र ?"

समंदर बोला, 

विनम्र होकर

" चूंकि तू ने कहा है, 

मुझे ईश्‍वर ၊

तो हूं मै ईश्वर ၊

इसलिए रहता हूं,

अपने सीमा के भीतर ၊

जीस दिन मेरी सीमा का,

सब्र का बांध टूट जाएगा ၊

चारों तरफ,सैलाब आएगा ၊

और यह संसार ,

तेरे टीले की तरह,

बह जाएगा ၊



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