हाँ मैं ऐसी हूँ
हाँ मैं ऐसी हूँ
हाँ मैं बिल्कुल ऐसी हूँ
मैं अब जैसे को तैसी हूँ
नही माफ़ कर पाती अब
जो दिल दुःखाते हैंं
सामने मीठा बोल के
पीठ मे खंजर घुसाते हैंं
कहने को मेरे अपने हैं मगर
मेरे दुश्मनों का वो फर्ज निभाते हैं
रो के सुनते हैं दर्द मेरे
हँस के महफ़िल मे फिर उड़ाते हैं
ऐसे लोगो को जवाब देना सीख गई हूँ
हाँ मैं भी अपने लिए जीना सीख गई हूँ
अब किसी की बात दिल नही दुखाती
अब मैं अकेले मे आँसू नहीं बहाती
कौन अपना कौन पराया
ये अब जान गई हूँ मैं
रिश्ते जो कहने के हैंं
उन्हें पहचान गई हूँ मैं
खुश हूँ मैं अब अपनों को
खुश मैं रखती हूँ
मतलब के रिश्तों को
दूर से अब सलाम मै करती हूँ!