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Sangeeta Aggarwal

Tragedy

4  

Sangeeta Aggarwal

Tragedy

राज

राज

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 हर स्त्री छिपाये रहती है एक नही अनेक राज अपने भीतर

जिससे बसे रहते है ना जाने कितने ही घर।

वो छिपाती है माता पिता से अपने ससुराल के सितम

वो छिपाती है थके पति से अपने हर गम

एक नही उसे रखनी होती है दो दो घरो की लाज

इसलिए वो छिपा लेती है दुनिया से अपने राज

पति की मार को आँचल मे ढक कर छिपाती है

सास के तानो को सुनकर भी सबके सामने मुस्काती है

पीहर की लाज बचाने को ससुराल मे झूठ के किले बनाती है

और ससुराल की लाज बचाने को मायके ही नही जाती है

जिस दिन स्त्री का सब्र जवाब देगा और हर राज खुलेगा

उस दिन शायद कोई भी घर घर नही रहेगा ।



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