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Lakshman Jha

Inspirational

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Lakshman Jha

Inspirational

मेरी लेखनी

मेरी लेखनी

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अपने  उद्गारों

अपनी भावनाओं

अपनी कल्पनाओं के तार से 

अपनी लेखनिओं को बुनता हूँ !


कभी लाल

कभी पीली

आसमानी

गुलाबी झालरों से रंगोलियां

स्वप्नों का सजाता हूँ !


बिखेर देता हूँ सुगंध चम्पा

चमेली

गुलाब

गेंदा और राजनीगंधा का 

लगने लगता हैं नव पल्लव

पेड़ -पौधों में आ गए !


रंग -विरंगें नए फूलों का आगमन हो गया 

झूमते वसंत फिर या गए !

सारे रसअलंकार और विभिन्य विधाओं की

चाशनी में घोलकर सोमरस बनाता हूँ !


अपनी कविताओं में हर क्षण सत्यम

शिवम और सुंदरम का मंत्र दोहराता हूँ !

जो रस में डुबना चाहे वो रस में डूबता हैं !

जिसे है इल्म ताजी हवा की 

उसको सही वो जानता है !


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