मां
मां
मां के बिना हर कहानी अधूरी।
हरहाल में करती वो हमारी इच्छा पूरी।
एक बार झिरक देती मां अगर,
बार बार ह्रदय से लगा
करती फिर स्नेह आलिंकन।
मां शब्द अपने आप में ही होता पावन।
उसके बिना लगता हरपल सुना सावन।
हर मां के बच्चे होते उसके कलेजे के टुकड़े,
गोरे हो या काले
ले बलैया वो तो हरपल नजर उतारे।
मां के नाम पे कई लेखनी का लेख है गढ़ता।
उनके आगे देवताओं का सर भी देखा हमने झुकता।
मेरी लेखनी भी जब झुक कर लिखती है मां का नाम
यूं लगता उस वक्त हो गए मेरे चारोधाम।
