कविता
कविता
नमन मंच
....नींव और सपनों का घर...
पिताजी अक्सर कहा करते थे
घर की नींव
बहुत मजबूत होना चाहिए
उसी पर हमारा मकान
और भविष्य टिका होता है
मैंने अपने जीवन में
कई नींव पर
मजबूत मकान
बनते हुए देखे हैं
कई नींव ऐसी भी रही
जो वर्षों जमाने की
धूल खाती रही किन्तु
उस पर कोई मकान
आकार नहीं ले पाया
और वे
समय के गर्त में खो गई
उसको अब भी इंतजार है
सीमेंट और सरिए से जुड़ाव का
कई नींव पर
मकान की जगह
मल्टी यानी गगन चुम्बी
इमारत खड़ी हो गई
सोचता हूं
इस दस मंजिला पच्चीस
फ्लैट वाली इमारत पर
आने वाली पीढ़ी
कैसे दावा करेगी कि
उसकी नींव उनके
पुरखों ने डाली है
क्या नींव
उनके सपनों के घर से
जुड़ने का साहस जुटा पाएगी।