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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

चेतक

चेतक

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जय हो वीर चेतक थारी

शत्रु पे पड़ा तू बड़ा भारी

दिखाई तूने ऐसी वीरता,

धरी रह गई शत्रु तैयारी

मानसिंह के मान हाथी को,

दिखाई पैरों की टाप भारी

प्रताप को जब घेरा,

चेतक बन गया शेरा,

शत्रु को दी मात भारी

जय हो वीर चेतक थारी


ऐसी दिखाई वफादारी,

सदियों तक गूंजेगी

चेतक तेरी किलकारी

ऐसी छलाँग लगाई तूने

हक्की-बक्की रह गई

शत्रु की सेना सारी

देख तेरा रण-कौशल,

अकबर हुआ लाचारी

जय हो वीर चेतक थारी


तू है, प्रताप की तलवारी

उसका ख़्वाब टूट गया

प्रताप उससे छूट गया

दिखाया पौरुष तूने,

बड़ा ही प्रलयंकारी

हल्दी घाटी में जिंदा है,

आज भी तेरी चिंगारी

जय हो वीर चेतक थारी


तू है, स्वामीभक्त अवतारी

जब तक ये मैदान रहेगा

तब तक तेरा नाम रहेगा

प्रताप के संताप हारी

जय हो वीर चेतक थारी



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