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Anil Gupta

Inspirational

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Anil Gupta

Inspirational

कविता

कविता

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प्रियतम की चिट्ठी आई है देखो मेरे नाम सखी

विरह वेदना अगन प्रेम की लिक्खी मेरे नाम सखी।


आसमान में काले बादल कैसे उमड़ घुमड़ आए

अंधकार में एक बदरिया लिक्खी मेरे नाम सखी।


कुंकूम बिंदिया चूड़ी कंगना पायल की झंकार बजी

हर धड़कन में उनकी खुशबू लिक्खी मेरे नज़्म सखी।


कर्तव्यों की पगडंडी पर मन की गागर मचल गई

पनघट की सब चुहल बाजियां लिक्खी मेरे नाम सखी।


हाथों में मेंहदी साजन की सुर्ख महावर पैरों में

साँसो में संदल की खुशबू लिक्खी मेरे नाम सखी।


चन्द्र किरण बनकर तुम मेरे चंचल मन उपवन में आई

चंदा की सारी शितलता लिक्खी मेरे नाम सखी।


अंग अंग में तपन लगे है अनुबंधों की गांठ खुली

भीतर बाहर की सब मस्ती लिक्खी मेरे नज़्म सखी।


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