मत किसी को भी बताना राज की यह बात। मत किसी को भी बताना राज की यह बात।
भीतर बाहर की सब मस्ती लिक्खी मेरे नज़्म सखी। भीतर बाहर की सब मस्ती लिक्खी मेरे नज़्म सखी।
याद नहीं आ रही अब मुझे रुक्मणी और राधा.. चुंबकीय आकर्षण में तेरे हो गई अधीर और आधा.. याद नहीं आ रही अब मुझे रुक्मणी और राधा.. चुंबकीय आकर्षण में तेरे हो गई अधीर ...
बहार अर्थी और गुलाबों की, माला सज रही थी। बहार अर्थी और गुलाबों की, माला सज रही थी।
जिंदगी का हर पग तुम्हें मैं अर्पित करना चाहती हूँ। जिंदगी का हर पग तुम्हें मैं अर्पित करना चाहती हूँ।