स्वप्न आया था सुबह सोती
स्वप्न आया था सुबह सोती
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मत किसी को भी बताना
राज की यह बात।
स्वप्न आया था सुबह सोती
सम्पुटित है सीप में मोती।
प्रिय तभी से हो रही हूँ,
मैं प्रफुल्लित गात।
मत किसी को भी बताना,
राज की यह बात।
हाथ मेहंदी पग महावर के,
नदी पहुँची द्वार सागर के।
अठखेलियाँ चलती रहीं
आज सारी रात।
मत किसी को भी बताना,
राज की यह बात।
