कल लुटेरे थे विदेशी अब लुटेरे हैं स्वदेशी
कल लुटेरे थे विदेशी अब लुटेरे हैं स्वदेशी


देशभक्ति आज बस इतिहास ही तो है
और सारा देश जिन्दा लाश ही तो है
कल लुटेरे थे विदेशी अब लुटेरे हैं स्वदेशी
शेष सारी कौम इनकी दास ही तो है
आजादी जम्हूरियत ये कोर्ट संसद या सभा
अशफाक़ का आजाद का उपहास ही तो है
स्वप्न का उद्देश्य का अपने भविष्यत का
देखते प्रत्यक्ष जो सब नाश ही तो है
कुछ राजनैतिक अश्व बाकी आप हम गदहे
अरु गधों के भाग्य में बस घास ही तो है
सीट पै मोदी हों बैठे याकि मनमोहन जनाब
आपकी किस्मत में भूख और प्यास ही तो है
बेटियों की आबरू तक को बचा पाये नहीं
क़ानून का शासन महज बकवास ही तो है
मैं भी हूँ मदहोश प्यारे आप भी मदहोश हैं
बात फिर तहजीब की परिहास ही तो है
देश में सूखा हो चाहे भुखमरी नदियों में बाढ़
कह रही सरकार जब मधुमास ही तो है
पन्द्रह अगस्त क्या है बताओ हाथ दिल पै रख हुजूर
एक झूठी जीत का अहसास ही तो है।