संविधान
संविधान
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सदियों से जकड़े थे,
गुलामी के जंजीरों में।
आजादी मिली बलिदान से।
आजादी से ना मिला,
मान, अधिकार, सम्मान।
तो बना हमारा संविधान।
संविधान से मिले,
हमें अपने अधिकार।
अब हम अधिकारों में,
हो गये हैं मशगूल।
संविधान क्या है,
अब गये भूल।
जो बसता था कभी,
भारत माता के,
गुल, बहार, चमन,
फूलों की कलियों में।
वह जलता हैं अब,
चौक और गलियों में।