शब्दों का जादू
शब्दों का जादू
इक दिन
हमने
कर ली कमर कस
और बोली
इनसे हँस
"काम" की करो पूजा
उत्तर आया उनका
किसकी
कार्य
या
कामदेव की!
फिर कहा हमनें
"काल" से डरा करो
झट उन्होनें फरमाया
समय या मृत्यु
हमनें कहा
दोनों से
फिर बोली
मैं
कि
ख्याल रखना
"कुल" का
बोले
वह फिर मुस्कुरा के
सिर्फ अपनें वंश का
या
सबका
झल्लाकर बोली फिर मैं
सुन अलि
न कर मुझसे ठिठोली
पकड़ दोनों हाथों से
जोर से उन्होनें घुमाया
बोले
कह किससे रही
कोयल,मधुकर
या किसी सखा सहेली से
कम मैं भी न थी
बोली बल खा कर
हिला न पाओगे
तुम मुझे लक्ष्य से
आँख नचा कर बोले
फिर वो
निशाना या उद्देश्य
किससे
थक चुकी थी
अब तक मैं
सोच समझ
धर धीर
दबा मन की पीर
बोली संभल कर
चलो हारी मैं
अब तो ला दो
मुझको
कनक भूषण
झट उन्होनें
रख दिल पर हाथ
कहा
जान तुम्हारी
मुझको है प्यारी
कनक भाये
महादेव को
हमें तो भाये
तुम्हारा संग
बस
करती रहो
तुम
प्यार भरी
ठिठोली
देखो न
कैसा
अजब गज़ब
#शब्दों_का_जादू
"इरा" तुम और हम।