कभी सुलझन सुलझ जाती मेरी फंसकर ऐसी उलझनों मे। कभी सुलझन सुलझ जाती मेरी फंसकर ऐसी उलझनों मे।
ग़ज़ल ग़ज़ल
नहीं वो तो अपने घूँघट में ही छुपकर रह गयी। नहीं वो तो अपने घूँघट में ही छुपकर रह गयी।
नाच - नाच के तोहे रिझाऊँ, पंचमेवा का भोग लगाऊँ, आके करो स्वीकार, नाच - नाच के तोहे रिझाऊँ, पंचमेवा का भोग लगाऊँ, आके करो स्वीकार,
रख दिल पर हाथ कहा जान तुम्हारी मुझको है प्यारी। रख दिल पर हाथ कहा जान तुम्हारी मुझको है प्यारी।
सुध - बुध खोये सबने सब भये हैं मौन I सुध - बुध खोये सबने सब भये हैं मौन I