सागर बीच कन्हैया
सागर बीच कन्हैया
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सागर बीच फन फैलाये खड़ा कालिया नाग,
ता - थैया नाचे खड़े मोहन I
हर्षित तन - मन सबके मोहित सब नर - नार,
सुध - बुध खोये सबने सब भये हैं मौन I
मोर मुकुट साजे सिर पर,
पैरों में पैजनियां I
कमर करधनी सोहे,
अधरन पे बसियां I
सारे जगत को नाच नाचावे,
वो तो हैं सुदर्शन धारी I
प्रेम से जो पुकारे,
दौड़े आवें बनवारी I
