हमारी कविता अपने घूँघट में
हमारी कविता अपने घूँघट में
हमारी उत्कंठा जगी अपनी कविता को कोई नया रूप दे दें
अलंकारों के शृंगारों से उसे सुसज्जित कर दें !
बड़े यत्नों से उनके कुंतल संवार कर एक नया रूप कर दिया !
परिधानों के अनुरूप मांग में सिंदूर भर दिया !
सुंदर शब्दों के काजल से नयन कजरारे बन गये !
लाल -लाल रंगों से ओठ दोनों लाल हो गये !
चूड़ामणी,चन्द्रहार कानों के झुमके
और नाक में नथिया पहना के शृंगार किया !
कमर में ढ़ड़कस पैरों में रुनझुन
पायलों को पहना कर अद्भुत उपहार दिया !
परमार्जित शब्दकोश से अलंकृत
मेरी कविता अपने घूँघट में ही सिमट कर रह गयी !
किसीने उन्हें देखा नहीं पहचाना नहीं पढ़ा नहीं सराहा
नहीं वो तो अपने घूँघट में ही छुपकर रह गयी।
