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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Abstract Inspirational

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Abstract Inspirational

हमारी कविता अपने घूँघट में

हमारी कविता अपने घूँघट में

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हमारी उत्कंठा जगी अपनी कविता को कोई नया रूप दे दें 

अलंकारों के शृंगारों से उसे सुसज्जित कर दें !


बड़े यत्नों से उनके कुंतल संवार कर एक नया रूप कर दिया !

परिधानों के अनुरूप मांग में सिंदूर भर दिया !


सुंदर शब्दों के काजल से नयन कजरारे बन गये !

लाल -लाल रंगों से ओठ दोनों लाल हो गये !


चूड़ामणी,चन्द्रहार कानों के झुमके

और नाक में नथिया पहना के शृंगार किया !


कमर में ढ़ड़कस पैरों में रुनझुन

पायलों को पहना कर अद्भुत उपहार दिया !


परमार्जित शब्दकोश से अलंकृत

मेरी कविता अपने घूँघट में ही सिमट कर रह गयी !


किसीने उन्हें देखा नहीं पहचाना नहीं पढ़ा नहीं सराहा

नहीं वो तो अपने घूँघट में ही छुपकर रह गयी।


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