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Ira Johri

Abstract

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Ira Johri

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जीवन का संगीत

जीवन का संगीत

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छन्द मुक्त काव्य


बीता वक्त लौट के नहीं आने वाला अब ,

कब तक रहोगे तुम तन्हा यादों के सहारे ।


दखो गोधूलि बेला का सुन्दर नीला आसमां ,

ढल रही शाम अब कब तक करोगे इंतजार।


नयी उमंगें लेकर आयी जीवन में नयी सुबह।

ख़ुशियों से भर जायेगा अब चाहतों भरा मन।


वापस आने के लिये लोग दिलों से जाते नहीं दूर।

दिल से जो हो दूर उनके लिये ना होना तू उदास ।


नयी उमंगें लेकर आयी है जीवन में नयी सुबह।

ख़ुशियो

ं से भर जायेगा अब चाहतों भरा मन।


ज्वार भाटे सा है सुख दुख का आना जाना हर पल ।

काहे करे है मान जब माटी में सब मिल जाना सब ।


जहाँ खिले हों फूल न्यारे वहीं है जीवन का संगीत ।

भँवरों की गुनगुन ही है बगिया के साज का सरगम।


छिप कर कूकती कोयल सघन वृक्षों की अमराई में ।

सूरज भी ढल जाता है धीरे से सागर की गहराई में ।


चल वहीं अब ले चल रे! ओ बाबरे मन मुझको।

जहाँ बसती है "इरा" के नन्हे से दिल की धड़कन ।




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