अतुकांत कविता--जी लो जरा
अतुकांत कविता--जी लो जरा
कभी अपने लिये भी पल भर जी लो जरा,
वरना खुशी से जीने न देगा तुम्हें ये जमाना।
रखते हुये ख्याल सबका खो बैठे जो तुम होश,
घूमते ही रह जाओगे इस दुनिया में बन दीवाना ।
लोगों का क्या है कर नजरंदाज तुमको ही,
लगाते रहेंगे नित तुम्ही पर बेरुखी का बहाना।
बदल जायेंगे हालात उसी दिन तुम्हारे सच में,
छोड़ दिया जिस दिन सबसे बेवजह यूँ शर्माना।
मन की आवाज़ सुन कर जब से बढ़ाये कदम,
छोड़ दिया उन्होंने अब बेवजह इरा को डराना ।