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Sudhir Srivastava

Comedy

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Sudhir Srivastava

Comedy

दूल्हे बिकाऊ हैं

दूल्हे बिकाऊ हैं

1 min
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नाहक मुझे बदनाम कर रहे हो

सरेआम मेरी इज्जत नीलाम कर रहे हो

अब इसमें आश्चर्य कैसा

दूल्हों की जब लग रहीं बोलियां

तब दुल्हे बिकने को

सज धज कर बिकाऊ माल बने हैं

तो फिर बवाल कैसा?

कुछ तो शर्म करो 

बेटियों के बाप दादाओं

दूल्हों के भाव एक बार ही लगने हैं

उसमें भी तो टाँग मत अड़ाओ।

हाथ जोड़ निवेदन करता हूं

इतना तो नीचा मत दिखाओ।

आपको भी पता है

दुल्हा सिर्फ एक बार बिकता है,

फिर तो बेचारा जीवन भर

श्रीमती जी के चंगुल में फंसकर

कसमसाता है, पर कुछ नहीं कर पाता है।

पत्नी बनी आपकी कन्या 

जीवन भर निचोड़ती है,

एक बार खरीद कर दे दिया आपने

वो जीवन भर दूल्हे का खून पीती है,

इतना तक होता तो भी कोई बात नहीं

लगाम लगाकर रखती हैं

पालतू जानवर समझती है,

आज़ादी की बात तो कीजिए भी मत

वो तो जी भरकर रोने भी नहीं देती।

बार बार बताती रहती है,

मेरे बाप दादाओं ने खरीदा है तुम्हें

रोने गाने की जरूरत नहीं हैं,

माल वापसी नहीं होगी

मैं मालकिन हूं तुम्हारी

अब और कुछ सोचने की जरूरत नहीं है।

इसलिए एक बार तो इतरा ही लेने दो

रोने से पहले अकड़ दिखा लेने दो

अपनी औकात क्या है

बस एक बार देख तो लेने दो

दूल्हे बिकते हैं तो कम से कम

बिकने के लिए बाजार में खड़ा होने तो दो,

एक बार आप ही खरीद कर

उसके अरमान पूरे ही कर दो

ज्यादा सोच विचार की जरूरत नहीं है

दूल्हे बिकते हैं तो खरीद ही लो। 



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