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Knowledge Entertainment

Comedy Fantasy Children

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बाल कविता

बाल कविता

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बहुत तेज चल रही हवा थी,

अलमारी में पड़ी दवा थी,

दवा की शीशी गिर गई सारी,

पी गई नागिन इच्छाधारी,

पी कर फिर बन गई इंसान,

मच्छर घुस गया उसके कान,

कान में उसने बीन बजाई,

दौड़ के आई बिल्ली ताई,

बिल्ली का एक पैर था घायल,

पहन रखी थी उसने पायल,

पायल उसकी खुल कर खो गई,

पायल अब चींटी की हो गई,

देख रहा था काला भालू,

हाथ में उसके मोटा आलू,

आलू उसने मुँह में डाला,

लग गया उसके मुँह पर ताला,

चाबी थी शेर के हाथ में,

जो था वहां खड़ा साथ में,

चाबी लेकर शेर था भागा,

सुनकर शोर चूहा भी जागा,

चूहे ने जब आंखें खोली,

कान में उसके बकरी बोली,

तेरी पूंछ लटक रही नीचे,

जोर जोर से मक्खी खींचे,

मक्खी ने मच्छर को खाया,

चूहे ने मक्खी को उड़ाया,

मक्खी उड़ी तो गिर गया हाथी,

हाथी तो था, शेर का साथी,

हाथी गिरा तो रुक गया शेर, 

रुकते ही वो बन गया बेर,

बेर देखकर आई गिलहरी,

कानों से थोड़ी थी बहरी,

बहरी थी वो जरा जरा सी,

थोड़ी सी उसको थी खासी,

वैद्य राज बंदर ने दी गोली,

अब तो कोयल भी थी बोली,

मेरा भी है गला खराब,

इसका भी कुछ करो हिसाब,

कोयल पर झपटा फिर बंदर,

खाकर पहुँचा पार समंदर,

पार समंदर अजब नजारे,

आसमान में चाँद सितारे,

तारों बीच एक राजकुमारी,

राजा की जा रही सवारी,

छोड़ सवारी राजकुमारी,

पैदल ही चल पड़ी बेचारी,

पैरो में थे पड़ गए छाले,

बंदर बोला, दवा लगा ले,

दवा लगी, आया आराम,

अच्छा बच्चों, हो गई शाम।



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