बच्चे रो रहे थे, बूढ़े सो रहे थे; बाकी रेल-व्यवस्था को गाली दे रहे थे। बच्चे रो रहे थे, बूढ़े सो रहे थे; बाकी रेल-व्यवस्था को गाली दे रहे थे।
चिमनी से निकला धुआँ पीते हुए लोग। चिमनी से निकला धुआँ पीते हुए लोग।
कश्ती का काम है लड़ना भारी लहरों से, फिर क्यों अब तुमने भय की आड़ लिया... कश्ती का काम है लड़ना भारी लहरों से, फिर क्यों अब तुमने भय की आड़ लिया...
घर बनाये झोले ले जाते थे जहाँ वो चारदीवारी ढूंढ रहा हूं। घर बनाये झोले ले जाते थे जहाँ वो चारदीवारी ढूंढ रहा हूं।
रतिया के नींद दिनवा के चैना भोराइल धनिया बिना हमरो सुखवा भोराइल रतिया के नींद दिनवा के चैना भोराइल धनिया बिना हमरो सुखवा भोराइल
हवा से बातें करती अपने गंतव्य पर पहुंचाती, साइकिल चली रे, हवा से बातें करती अपने गंतव्य पर पहुंचाती, साइकिल चली रे,