STORYMIRROR

Birendra Nishad शिवम विद्रोही

Inspirational

4  

Birendra Nishad शिवम विद्रोही

Inspirational

दुर्गम पथ, पथिक और कश्ती

दुर्गम पथ, पथिक और कश्ती

1 min
717

दुर्गम पथ पर पथिक चल रहा था चाव से,

जिस पथ पड़ी नदी करना था पार नाव से,

लहरों में डगमगाती वह, हिलोर खाती वह;

साहिल को लड़ती कश्ती, हवा के बहाव सेI


पथिक डरा सहमा, मांझी ने ताड़ लिया;

क्यों डरना? जब उन्नति-उत्थान किया,

कश्ती का काम है लड़ना भारी लहरों से, 

फिर क्यों अब तुमने भय की आड़ लिया?


भय की आड़ लिया, क्या तुमको पार मिला;

कर्म करो फल क्या? गीता का है सार मिला,

फिर नए बहाने क्यों? करना तुमको पार जो,

करो सवारी कश्ती की, क्यों विश्वास हिलाI


विषम परिस्थितियों में काम है चलना,

ज्यों अँधेरे में दीये का काम है जलना,

फिर क्यों पथिक तुम पथ छोड़ते हो?

कश्ती का तो लहरों से काम है लड़नाI


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational