तू अविरल
तू अविरल
तू फूलों के श्रृंगार सी, गंगा की अविरल धार
ईश्वर की उत्तम रचना तू.. तेरा ना कोई पार
तुझ में जीवन, तुझ से जीवन
तू हर रचना की आधार...
श्रेष्ठ काज से आगे बढ़ती , हर पथ देती पूर्ण संवार
अपने कोमल पंखों से दूर नभ तक भरती उड़ान।
तू फूलों के श्रृंगार सी, गंगा की अविरल धार
ईश्वर की उत्तम रचना तू.. तेरा ना कोई पार
तुझ में जीवन, तुझ से जीवन
तू हर रचना की आधार...
श्रेष्ठ काज से आगे बढ़ती , हर पथ देती पूर्ण संवार
अपने कोमल पंखों से दूर नभ तक भरती उड़ान।