अनमोल पूंजी
अनमोल पूंजी
पूंजी है
अपना,
संस्कार
अपनी ,
बोली
अपनी,
भाषा
अपनी,
तमीज
अपना,
अदब
ये
मिला
है
अपने
मां से
बाप से
अपने
पुरखों से
अपने
परिवार से
अपने
समाज से
यह पुश्तैनी
संपति है
ये एक ऐसी
पूंजी है
जिसे कोई
छिन नहीं
सकता
कोई चुरा
नहीं सकता
यह ऐसी
संपति है
जो
जीवन को
निखारता है
नई दिशाओं
पर लेकर
जाता है
एक सफल
इंसान
बनाता है
यह पूंजी
अनमोल है.
