स्वर्ण पदक
स्वर्ण पदक
एक झुंड है खड़ा बाँधे हाथ
नही किसी का कोई साथ
सब विह्वल, कुछ परेशां
सब थे अपना सीना तान
वह सब अपने देेश के शान।।
हर कोई तत्पर और तैयार
भर कर सबसे ऊँची परवान
बस बिगुल का करें सब इंंतजार
रखना था देश का ऊँचा नाम।।
पदक पदक पदक तो सजे दो तीन
स्वर्ण पदक के बात में सब लीन
हर देश की आन बान शान
यह पदक तो वह निशान।।
छाया खुमार होश संभालने का
बिगुुल बजी जब आगे बढने का
क्या खूब नजारा पेश हुआ
हर देश का तेज विशेष हुुआ
होङ हूई है आगे जाना
नीरज अपना कर गया दीवाना
स्वर्ण पदक झोली में उसके आया
पूरे देश ने झूम झूूम
स्वर्ण पदक की इस खुुशी में
तिरंंगा अपना खूब लहराया।।