गीतिका
गीतिका
नियम है न ऐसा बनाया गया ।
करम कर अधर्मी छिपाया गया॥
कदम देश हित जो उठाया गया ।
भला हो कतल भी कराया गया ॥
वतन पर निछावर हुये प्राण हैं ।
डिगे ही नहीं सिर कटाया गया॥
नमन जाँ लुटा कर गये देश पर।
अमर धर्म बलि से निभाया गया॥
तिरंगा कफन शान से वो सजा ।
वहीं सो गये जो लिटाया गया ॥
अजब प्रेम पर मिट गये जो गजब।
लहू भक्ति अर्पण बहाया गया ॥
पतन देश का आज जो हो रहा।
कहो कर्ज वो क्या चुकाया गया॥
करें वंदना..शत नमन ..'भारती'।
जहाँ भक्ति दीपक जगाया गया॥