बिटिया
बिटिया


हैं बिटिया न्यारी अति भोली।
कोमल कान्ता स्नेहिल बोली॥
मात पिता की..लाड़ पगी सी।
ज्योति निराली आन सजी सी ॥
है जग में छायी प्रतिभाएँ।
कंचन लाएँ .. धूम मचाएँ॥
स्थान बता दो कोई बचा जो।
मानवता की शान ध्वजा जो ॥
क्यों अबला नारी कहते हो।
रक्त उसी के..तो बहते हो ॥
पत्थर की देवी..प्रतिमा से ।
बाहर लेनी हैं ..अब साँसे ॥
आकर देखो जो बदला है।
भारत की नारी सबला है ॥
है अधिकारी देश दुलारी ये।
वैदिक धारा में .. बहती ये॥