अकेली नारी सब पे भारी...
अकेली नारी सब पे भारी...
मत समझो ये-
है एक मामूली नारी
जब वक्त आयेगा तो
अकेली सब पर है भारी...
दुर्गा, चंडी, अंबा
नाम है उसके भिन्नभिन्न
जब छेड़े कोई उसे
तो करती है उसे छिन्नविछिन्न
अरे बेटी को क्यो
ठुकराता है तू
उसी के वजह से ही तो
दुनियाँ मे आता है तू
बेटी लक्ष्मी का
अवतार है
तो वही बेटी
दुश्मनों पर हाहाकार भी है...
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ..
और जब बात आये सन्मान की
तोह अपने अंदर की
काली माँ को जगाओ।