पिता
पिता
दे प्यार, सुरक्षा और साहस,
अपने दर्द की न होने दे आहट।
हँस कर सहन कर ले हर घाव,
खुद धूप में रहकर बच्चों को दे छाँव।।
बच्चों के हर गम को देते हैं मिटा,
ऐसे ही होते हैं पिता।
सत्कर्म राह पर चलना सिखाये,
देख बच्चों की सफलता झूम जाए।।
अपने सर्वस्व समर्पण की छवि पाए।
हार में भी कोशिश में जीत दिखाए,
हर परिस्थिति में जीना देते हैं सिखा।
ऐसे ही होते हैं पिता।।
बच्चों में ही सारा जीवन जी जाए,
कठिनाइयों के सामने पहाड़ बन जाए।
सही और गलत का अन्तर देते हैं सिखा,
ऐसे ही होते हैं पिता।।
दुआओं और आशीर्वाद की देते हैं छाया,
दूर रहकर भी साथ बनकर रहते हैं साया।
हौसलों की ऊँची उड़ान भरना देते हैं सिखा,
ऐसे ही होते हैं पिता।।