STORYMIRROR

Meena Dhardwivedi

Inspirational

3  

Meena Dhardwivedi

Inspirational

रेगिस्तान

रेगिस्तान

1 min
29.6K


जीवन के रेगिस्तान में !

जाने कितने बसंत 

शीत,पतझड़, सावन 

आये गये 

तपती, भीगती, ठिठुरती 

मुरझाती पर फिर भी 

चलती रही अनवरत 

हाँफती, दौड़ती, पसीजती

डोर अपनी साँसों की थामे 

कोलाहल अंतर का समेटे 

मूक, निःशब्द बस 

अपने काफ़िले के साथ 

बढ़ती ही गई 

जीवन के पथ पर !!

अपनी साँसें संयत करने को 

रुकी इक पल को 

पीछे मुड़ कर देखा जो 

छोड़ गये थे सभी मुझको 

मेरे पीछे था अब सुनसान 

आगे बियाबान 

नीचे तपती रेत 

ऊपर सुलगता आसमान 

बीच में झुलसती मैं

अकेली जीवन के रेगिस्तान में || 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational