ज़ालिम वो , ज़ालिम तुम, जिनकी सोच उनके लहू में डूबी है अगर इंसानियत ही नहीं तुम में, तो मैं क्यों ... ज़ालिम वो , ज़ालिम तुम, जिनकी सोच उनके लहू में डूबी है अगर इंसानियत ही नहीं तुम...
मैं कहीं पहुँची तो नहीं, पर एक बड़ा सफर तय करके आई हूँ। मैं कहीं पहुँची तो नहीं, पर एक बड़ा सफर तय करके आई हूँ।
निकला चौकीदार, था वह बहरा निकला चौकीदार, था वह बहरा
गाँव जो मेरा शोर मचाता वही गाँव सुनसान है। गाँव यह जीवित नज़र न आता यह कोई श्मशान है! गाँव जो मेरा शोर मचाता वही गाँव सुनसान है। गाँव यह जीवित नज़र न आता यह क...
जीवन के रेगिस्तान में सब साथ छोड़ जाते हैं और रह जातें हैं हम अकेले जीवन के रेगिस्तान में सब साथ छोड़ जाते हैं और रह जातें हैं हम अकेले
फिर भी बहुत दूर है, फिर भी बहुत पास है। फिर भी बहुत दूर है, फिर भी बहुत पास है।