बेबाक मोहब्बत
बेबाक मोहब्बत
इनकी बेबाक मोहब्बत के सिलसिले पन्नों में ब्यान है,
हिस्से कहीं किस्से कई निग़ाहों से ब्यान है,
रिश्ते कुछ नहीं फिर भी हर बार मोहब्बत के परवान है,
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है,
तेरे जुल्फों की तरह गहरी खाई में गोते लगा लूँ,
हमारी खामोशियों में ये कहा चाहे आ जाते हैं हम,
हम इस क़दर शायर बाने में पल दो पल का
शायर के खिताब में शामिल हुआ।
मोहब्बत परवान चढ़ा कर,
आज भी कभी कभी सिलसिले मेरी
दस्ताने ए मुहब्बत के फूलों से
गूंथी माला तरो ताज़ा महक रही है।
सुनसान राहों में हाथों में हाथ थे,
नील से गहरा रिश्ता ख़ामोश इल्तिज़ा
करता नीला आसमान सी गया,
वीराने में बेवक्त मोहब्बत को कोसते रहे
लोगों का ता ता लगा, आज भी मौजूद है
हमारी ज़िन्दगी के नाम है तुम्हारा हमारा नाम है
फिर भी बहुत दूर है, फिर भी बहुत पास है।

