शब्द महिमा
शब्द महिमा
भाषा की लघुतम इकाई वर्ण,
मूलाधार है ध्वनि वर्ण का स्वर्ण।
मुख से जो वायु निकले,
न हो मार्ग में कोई बंध।
कहलाए वह स्वर वर्ण।।
मुख से निकली वायु में,
यदि होता है कोई बंध।
कहलाता है वह व्यंजन।
ध्वनि इकाई का मूर्त दर्श,
कहलाता है वह अक्षर।।
वर्णों का यही सार्थक समूह,
करता है शब्दों की रचना।
शब्दों के सार्थक समूह से,
क्रमबद्ध हो वाक्य है बनता।।
भाषा अभिव्यक्ति का है साधन,
शब्दों के मेलों से होता भाव बोधन।
शब्दों की माला में पिरोते मनोभाव,
जाग्रत कर देते है सबके स्वभाव।।
शब्द में समाया संसार सारा,
शब्द से जाता सबको पुकारा।
शब्द ही है आत्मबोध का उजियारा।
शब्द के बिना निःशब्द जग सारा।।