कामना ही दुख की जननी है, जो हमको भटकाती है। कामना ही दुख की जननी है, जो हमको भटकाती है।
भावों के प्रेत कभी पीछा नहीं छोड़ते ! भावों के प्रेत कभी पीछा नहीं छोड़ते !
पाओगे जो तुम चाहते हो चाहे क्यों न बंद रास्ते हो। पाओगे जो तुम चाहते हो चाहे क्यों न बंद रास्ते हो।
कब समझेंगे ये साज़िश को हम की हम खुद से कितने दूर हुए हैं। कब समझेंगे ये साज़िश को हम की हम खुद से कितने दूर हुए हैं।
क्योंकि चाहत हो तुम मेरी पहली औऱ आख़री भी, तुमसे ही वज़ूद मेरा, तुम बिन मैं कुछ नहीं। क्योंकि चाहत हो तुम मेरी पहली औऱ आख़री भी, तुमसे ही वज़ूद मेरा, तुम बिन मैं कुछ...
शिखर वही पाता सदा, जिसके गुरु आराध्य। शिखर वही पाता सदा, जिसके गुरु आराध्य।