लोकतंत्र के अधिकारों का, हमने ऋण चुकताया। लोकतंत्र के अधिकारों का, हमने ऋण चुकताया।
उठो लाल! और नहीं स्वप्न की बारी अब, बीती रात कमल दल फूले........ उठो लाल! और नहीं स्वप्न की बारी अब, बीती रात कमल दल फूले........
अर्थहीन तुम्हारी छली बातों से निकलकर आँखें उजियारी भोर तलाश सी रही है। अर्थहीन तुम्हारी छली बातों से निकलकर आँखें उजियारी भोर तलाश सी रही है।
बेटी तुम भी पढ़ लिख देखो, पिता यही समझाए। शिक्षा बने मशाल देश की, उजियारा फैलाये। बेटी तुम भी पढ़ लिख देखो, पिता यही समझाए। शिक्षा बने मशाल देश की, उजियारा फैला...
सारी उम्र गंवा दी मैंने चिरगों को रोशन करने में बस भूल गया अपने भीतर एक लौ को रोशन करने को सारी उम्र गंवा दी मैंने चिरगों को रोशन करने में बस भूल गया अपने भीतर ए...
कितना भी अँधेरा ढूँढ़ ही लेता मन उजियारा कितना भी अँधेरा ढूँढ़ ही लेता मन उजियारा