कितना भी अँधेरा ढूँढ़ ही लेता मन उजियारा कितना भी अँधेरा ढूँढ़ ही लेता मन उजियारा
ना जाने किस मोड़ पे आ गई ज़िंदगी। ना जाने किस मोड़ पे आ गई ज़िंदगी।
'नहीं पहुंचना चाहता मन मंजिल तक क्योंकी वहाँ तो सफर खत्म हो जायेगा जो मीठी यादें है सफर की उनको वहाँ... 'नहीं पहुंचना चाहता मन मंजिल तक क्योंकी वहाँ तो सफर खत्म हो जायेगा जो मीठी यादें...
सब ही तराने टूटे हैं हम खुद से ही रूठे हैं। सब ही तराने टूटे हैं हम खुद से ही रूठे हैं।
फिर भी कुुुुुछ अनजान बने हुए उस रास्तेे पर दोबारा जा पहुँचे। फिर भी कुुुुुछ अनजान बने हुए उस रास्तेे पर दोबारा जा पहुँचे।
कोई हमसफर मिले गर हमे 'चले जो हाथ ले कर हाथ मे, दिल होगा नाउम्मीद फिर कभी, चलता जाये हसते हसते रस्ते... कोई हमसफर मिले गर हमे 'चले जो हाथ ले कर हाथ मे, दिल होगा नाउम्मीद फिर कभी, चलता ...